- 30 Posts
- 21 Comments
मेरी जिन्दगी और तुम्हारी कहानियाँ
कभी सोचता हूँ, लिखूं अपनी प्रेम कहानी
जिसमे में हूँ राजा और तुम मेरी रानी
कभी सोचता हूँ, लिख डालूँ जादुई अफ़साने
जिसमे में परीलोक आऊ, मिलने किसी बहाने
कभी सोचता हूँ लिखू, एक खूबसूरत गजल
जिसमे तेरे मुस्कुराने से, खिलते है कमल
लेकिन “प्रेमचंद” तुमने क्यों लिखी ऐसी कहानी
जिन्हें पढता हूँ तो आँखों में आता है पानी
क्यों मुझे “निर्मिला” अपनी सी लगती है
क्यों “बुधिया” बिना कफ़न के मरती है
क्यों “बूढ़े का लड़का” बिन दवाई मर जाता है
क्यों उसी के मंत्र से “कैलाश” जी जाता है
क्यों “हामिद” का चिमटा “शेर ऐ हिन्द” बन जाता है
क्यों उसकी दादी का हाथ चूल्हे से जल जाता है
क्यों “हीरा और मोती” बैल होकर आंसू बहाते है
क्यों हर बार भागकर “झूरी” के घर ही आते है
क्यों मेरी कलम भी भावनाओ में फंस जाती है
लिखना चाहू कुछ और कुछ और ही लिख जाती है
क्यों लिखी है ‘प्रेमचंद” तुमने ऐसी कहानी
जिसमे केवल है आम आदमी की जिंदगानी
© हेमन्त राना
(अपने प्रेरणा स्रोत मुंशी प्रेमचंद जी को उनके जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाये)
Read Comments