Hemant Rana (Writer of "Pryas")
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निशानी
कितना ढूँढा है हमने,
तब जाकर मिला है,
यह सूखा सा पेड़…..
अब तिनका तिनका चुगना है,
करो ना कोई देर…….
चलो बनाते है,
अपने सपनों का घर,
आखिर उड़ते उड़ते,
कैसे कटेगा यह सफ़र.
हम और तुम,
शायद वो आखिरी परिंदे होंगे,
जिनके घोंसले,
किसी पेड़ की शाख पर बनेंगे.
कुछ दिनों बाद,
जब यह पेड़ कट जायेगा,
तब यहाँ एक,
मॉर्डन फ्लैट नजर आयेगा.
जिसकी बालकनी में टंगे होंगे,
खूबसूरत प्लास्टिक से बने घोंसले,
और जिसमे रह रहे होंगे,
कुछ नकली रंग बिरंगे परिंदे,
जो चूं – चूं कर गायेंगे,
कोई गीत या कोई कहानी
और बयाँ करेंगे,
तेरे मेरे होने की निशानी…..
© हेमंत राणा
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